दशा माता री पांच कहानियां (मारवाड़ी) | Dasha Mata Ri Panch Kahaniyan (Marwadi)

दशा माता री पांच कहानियां (मारवाड़ी) | Dasha Mata Ri Panch Kahaniyan (Marwadi)

दशा माता री पांच कहानियां (मारवाड़ी) | Dasha Mata Ri Panch Kahaniyan (Marwadi)

दशा माता री पांच कहानियां (मारवाड़ी)

एक मां बेटी ही, दोई रोज पीपल, पथवारी माता, दशा माता, सूरज भगवान, विनायक जी, तुलसा जी की पूजा पाठ करती ने वात केती, वणा दोवा रे रोज-रोज नियम हो, वात केइन पछे वे दोई रोटी जीम थी, बेटी मोटी वेइरी ही, मारा मन में विचार आया लागा की बेटी ने पनावणी है ,सेठ जी ब्राह्मण ने मेल्या जावो रे ब्राह्मण वणि डोकरी ने कीजो कि थारी बेटी रो ब्याव मारा कंवर लारे करे काई, डोकरी बोली की मारी बेटी रे रोज-रोज नियम है जो भी अणी नेम रो पालन करी वना लारे मु मारी बेटी रो ब्याव करी देऊ।

ब्राह्मण पाछा सेठजी रा घरे गिया और बोल्या की डोकरी तो यू केइरी है, मारी बेटी रे रोज रो नेम है, सेठ जी पाछा ब्राह्मण ने मेंल्या जाओ रे ब्राह्मणी डोकरी ने पूछो कि काई नियम है, ब्राह्मण डोकरी तेरे गया और बोला आप री बेटी रे काई नियम है, डोकरी बोली मारी बेटी दशा ,माता पथवारी माता, विनायक जी, सूरज भगवान, की पूजा करें और तुलसा जी पीपल में जल चढ़ावे ब्राह्मण जाइन सेठजी ने क्योंकि डोकरी तो यूं कइरी है सेठ जी बोला कि थारी बेटी रा सब नियम पालन वेई काईस नियम नी टुटे थारी बेटी रो ब्याव मारा कंवर लारे करी दे डोकरी तो राजी वेइगी ओर सेठजी रा कंवर लारे बेटी रो ब्याव करीने सासरे मेली दिदि।

बेटी सासरा में पूजा पाठ करें, वात केवे, तुलसाजी रे पीपल जल चढ़ावे,पछे रोटी जीमे,यु करता करता थोड़ा दिन तो अच्छा निकले, पछे सासु ननंद देराणिया जेठाणिया सब लडवा लागे और ताना देवे, की या तो दो घड़ी तक पूजा-पाठ करें, मा घर रो सब काम करा, अने तो हिदो भोजन मले, घर में तो लड़ाई झगड़ा वेवा लागा, दूसरों दिन वियो वा तो उठी वी नाय-धोयन पूजा-पाठ करवा लागी ने बात केवा लागी, जतरे तो सासु नंदन आए और केवा लागी काले अतरो झगड़ों वियो तो ही आज पाछी पूजा पाठ करवा बेठीगी मां बेटी की जल रो कलश नीचे पटकी दीदो और पूजा रो सामान सब बिखेरी दिदो ,घर रो काम-काज कर, मा काई थारा नोकर हां जो थने हिदो भोजन देवा।

आजऊ पूजा-पाठ सब बंद कर दे ,और घर रो काम काज कर,वा तो आमन धुमन वेइने सुईगी, दो चार दिन विया ने तो पूजा पाठ करें ने वा रोटी जीमें, चार चार दिन वेई गिया मुखी तरी सूती लगी है, आदिक रो समियों वियो दशामाता दियाडाबावसी आया और बोल्या, "मानेतन सुति है के जागे,सुती हूं बावसी नींद कने आवे, आज चार-चार दिन विया मारो नेम खडीत वेईरो है, "दशामाता बोल्या उठी वे रोटी जिमी ले ,रोटी कीकर जीमु, ने तो पूजा पाठ कीदी, ने मे वात की, मारा सासु नन्द पूजा पाठ करवा नी देवें, और बात तो केवानी देवे, तो रोटी कीकर जिमु,मु मारो नेम खडित नी करू।

दशामाता बोला कि सुबह उठी वेइने देखजे, थारे सब रचना कमरा में वेई जाई ,वा तो उठी वी देखे काई सब देवी देवता कमरा में विराजे लगा, सब रचना वेइगी, पीपल नीचे दशामाता दियाडाबावसी सूरज भगवान घोडा रा रथ पे विराजिया लगा हा, विनायक जी झाड रा नीचे विराजिया लगा हां, हरी हरी तुलसा जी बैठा लगा हां, पतवारी माता दूध दही में झुलीरा हां सभी देवी-देवता विराजिया लगा हां।

बहू तो झटपट उठी वी ने नाइ-धोइन पुजा रा सामान लाई पूजा कीदी बात की, और जिम्मा वास्ते रसोड़ा में गी, देराणिया जेठाणिया ताना देवा लागी की "रूठी रानी ने कुण मनाएं" "रूठी रानी ने कुण मनाई" आखिर जिम्मा ने आवणो पडियों, नियम, पूजा, पाठ वात वड़ोल्या सब धरिया रा धरिया रेई गिया, भुरव कनी हंगी नी है जिमवाने तो आवणो पडियों, बहू बोली मारा कमरा में जान देखो पछे मैंने केवो, आगे आगे बहू चालें, पाछे पाछे सब परिवार वाला चालें, देखें काय कमरा में तो सब देवी देवता विराजिया लगा हा, सासु नणंद बहू रे पगे पढ़िया के बहू मैंने मांफ करी दो ,बहू बोली सासु जी आप मारे पगे मती पडो, आप तो सब देवी देवता रा पगे पडो, सब जणा दशामाता, पथवारी माता, विनायक जी, सूरज भगवान, तुलसा जी रे पगे पडीया, सब देवी देवता वणाने खूब आशीर्वाद दिदो, ओ दशामाता बहु रा व्रत में रक्षा कीदी जैसी सबरे करजो ।

अधूरी होय तो पूरी करजो पूरी होय तो मान करजो,कहता सुनता हुकारा भरजो, भूल चूक वे तो माफ करजों |

"बोलो दशामाता दियाडाबावसी की जय"