दशामाता री वात नलराजा दमयंती (मारवाड़ी) | दशामाता की कहानी | Dashamata Ri Vaat Nalraja Damyanti (Marwadi) | Dashamata ki Kahani
दशामाता री वात नलराजा दमयंती (मारवाड़ी) दशामाता की कहानी Dashamata Ri Vaat Nalraja Damyanti (Marwadi) Dashamata ki Kahani
नलराजा दमयन्ती राणी री वात पहले दिन व दशामाता पुजे उस दिन केवे है |
नल राजा दमयन्ती राणी हां, खुब राजपाट हो, राणी दशामाता दियाडाबावसी रो एकाशनो करीने वेल लेती, दियाडाबावसी दशामाता रा टन आया राज दरबार में रीत ही सो राजा राणी भेला बेठीन जिमता, जिमता जिमता राजा री नजर राणी रा गला में पड़ी, राजा बोल्या ओ राणी आपरा गला में ओ कांई डोरो है, ओ राजा या तो घर री दशा है, ओ डोरो नी है, या तो दशामाता री वेल है।
दशामाता दियाडाबावसी री वेल लीदी लगी हे सो आ तो आपाडा घर री दशा है, ओ राणी आपारे घर में सोनो चान्दी हीरा पन्ना माणक मोती मोकला ही है, आपरे चावे जसियो हार गडाई देऊ, ने अणी डोरा ने खोली दो, राणी बोली ओ राजा यो काई ऊईस नी है, ओ डोरो दशामाता दियाडाबावसी रो है, राजा बोल्या मु कमाऊ दियाडाबावसी दशामाता कटु आया राजा ने तो रीस आई डोरा ने तोडीने फेकी दिदो, दशा तो गी ने ओसता आई।
आदिक रो समयो वियो ने दशामाता आया क्यो राणी सती के जागे सुती हु माताजी नीद कने आवे, थे मारो डोरो तोडीने फेकी दिदो सो थारी दशा तो गी ने ओसता आई, थारो राजपाट सब वलाई जाई, राणी बोली के मने किकर ठा पडी, दशामाता क्यो के राजा ने तो भुगड़ा री भावड़ आईने राणी ने खल री भावड़ आई, राजा ने तो भुगड़ा री भावड़ आई ने राणी ने खल री भावड़ आई, सुबह वियो ने देखे महल रा तो खुणा टुटवा लागा ने देखता ही देखता सब राजपाट वलाई गिया, नगरी तो काली कट पडीगी।
राणी बोली राजा सुणो देखो दशा तो गी ने ओसता आई हे, नगरी काली पडीगी, हे सो अबार सब मनख आईने आंपाने केवेला के राजा काई वात हे सो आप काई जबाव देवोला, सो आपा तो देश छोडीने परदेश परा चाला, राजा बोल्या हां राणी, रावला में निकलवा लागा ने राणी ने तो खल री भावड़ आई राजा ने भुगड़ा री भावड़ आई, राजा ने तो भुगड़ा मली गीया राणी ने खल मलीगी, दोई मनु मनमें समझी गिया, आगे आया ने हांसलो घोडो मालागढ़ छोरी सायर नीर कंवर सोना रुपा रा तोपडा लारे लेई लीदा, चालता-चालता थाकणो आयो, एक पीपल आई वटे गेरी-गेरी छाया ही राजा बोल्या अटे आंपी रात रेवा, राणी बोल्या हां राजा रात रेई जावा, आदिक रो समयो वियो ने दशा तो गी ओसता आई, पीपल तो फडफड फाटवा लागो ने हांसलो घोडो ने मालागढ छोरी पीपल में पतराई गिया, सुबह वियो ने राणी बोली ओ राजा परा जागो हांसलो घोड़ो ने मालागढ छोरी दोई पीपल में पतराई गिया, राजा बोल्या चालो चालो आगे गिया ने एक वड़लो आयो राजा राणी सुता ने एक बालद रो टोलो आयो, चैत्र वैसाख रा दन हां वायरो डुंज आई, सायर नीर कंवर बालद में परा गिया, सुबह वियो ने राणी बोली उठो राजा कंवर तो आपाने छोडीने परा गिया ।
राजा राणी वटु निकल्या, एक माली रो घर आयो माली रो बांग-बगीचो हरो-भरो वेईरो हो, फल फुलऊ गेडम वेईरो ने फल फुल लागीरा हा, राजा बोल्या ऐ माली भाई मने रात रेवा दे, भली रो मारी बांग री रखवाली वेइजाई, राजा राणी बांग में रात रिया ने, आदिक रो समयो वियो ने दशा गी ने ओसता आई, बाग तो सुखी गियो, सुखी सखाईने टिडका वेई गिया, राणी री नीद जागी, ओ राजा परा जागो, देखो आंपा आया जदी यो बांग हरो भरो हो, ठन्डी ठन्डी हवा आईरी ही, अबे तो यो बांग सुखी गियो ने टिड़को वेई गियो, अबाडु माली आई तो आंपाने लडी, आंपी अटु परा चाला ।
राजा राणी तो वटु निकल्या, एक कुम्हारा रो घर आयो कुम्हार नेवो खडकी रो हो नेवो पकावा रा वास्ते, राजा बोल्या ऐ कुम्हार भाई मने रात रेवा दे, हां भाई रेई जावो मुई नेवो पकाऊ सो अकेलो हुं, मारे भी आसरो वेई जाई, राजा राणी रात रेई गिया, आदिक रो समयो वियो ने दशा गी ने ओसता आई, नेवो तो बड़बड़ फाटवा लागो, तडकवा लागो सब ठामडा तो फटी गिया ने फाटी गिया, राणी बोली ओ राजा राजा परा जागो, देखो आपाडी दशा ओती लगी है, देखो कुम्हार रो नेवो तड़की गियो ने फाटी गियो, सुबह वेईने कुम्हार भाई आपांऊ झगडो करी, आपी अटु परा चाला ।
राजा राणी तो वटु निकल्या ने एक भाईला भाई रो घर आयो, भाईला भाई बोल्या के आज तो म्हारो भाई आयो है, सो तेत्तीस तरकारी बत्तीस भोजन वड़ावजो ने उंचली मेड़ी में जिमावजो, वटेईस वणियारे विस्तर करजो, भाई तो जिमिया ने सुता, एक खुंटी उपरे नक्लखो हार टरीरो हो सो, खुटी हार निगलीगी, राणी री नजर वणी खुंटी पे पडी खुंटी हार निगली री ही, ओ राजा परा जागो देखो आंपी आया जदी अटे नवलखो हार टरीरो हो सो यो हार खुंटी निगलीगी, सुबह वेईने आपाणे माथे चोरी आई जाई, सो आपी अटु परा चाला।
राजा राणी वटु निकली गिया, पछे भोजाई मेड़ी में गी, हार देखीयो हार खुंटी पे नी हो भोजाई बोली देखो आपरा भाई भला आया, सो मारो नो लाख रो हार लेईने परा गिया, भाई बोल्या लेगा तो लेजावा दे, थारे ओर गडावा ने ओर लावा, राजा राणी वटु निकल्या पनघट पे जाईने बेठी गिया ।
बाईसा री दासीया पाणी लेवा आई राजा राणी ने देखीने भरीयो नी भरीयो ने घरे गी, बोली बाईसा-ओ-बाईसा आपरा भाई भोजाई पधारीया कसीक अवाले मारा भाई भोजाई आया, फाटा कपड़ा ने बुरी हालत में आया है, बाईसा बोल्या के म्हारा भाई ने किजो वटीस रेवे, बेन तो कान्दो ने हान्दो सब छाछ रो खालन-खोलन लेईने पनघट पे आई, भाई ने बोली लो भाई जिमी लो, भाई तो भोला नन रा हा सो जिमी लिदा, भोजाई तो खाड़ो खोदीने गाली दिदो, राणी बोली के राजाजी देखो यु तो आपाणे पार नी पड़े, आपी कतराक दिन अटियु वटी फरा, आंपी तो कटे भी एक नगरी में रेवा, ने कांई दानकी करा, राजा बोल्या हां भाई हां, कटे भी दानकी तो करणी पडी।
राजा राणी वणी नगरी में आया एक झोपड़ी में रेवा लागा राजा तो मुली लावे ने राणी तो लुगाया रा माथा गुथे, राजा एक दिन सोनी रो भेख करीने गेणा धोवाने निकल्या, लावो ऐ बांया थारा गेणो गाठो धोवणो वे तो लावो, लुगाया तो गेणो गाठो लाईने बाजोटिये पे मेलीयो, धोवता धोवता बाजोटियो तो सब गेणो निगली लीदो, राजा तो घरे आई गिया, लुगाया बोली कोई पापी दृष्टी आयो सो माणो सब गेणो गाठो लेई गियो, राणी बोली अबे आपी काई खावा पीवा ने कांई करा, राणी बोली आप नगरी में जावो सो काई भी लियावजो, राणी बोली मु समुन्दर री तीर पे जाऊने माछलीयां भुजीने लाऊ, राणी तो माछलीया भुजे ने माछलीयां तो एक भी रेवे नी, उछली उछलीने समुन्दर में पाछी पडी जावे ।
राजा तो नगरी में गिया ने एक राजा रा घरे जिमणवार हो सो राजा बोल्या के भाई ले थुई आव जिमी ले, नी भाई मु नी जिमु, मने बाज गाली दो, राजा बोल्या मारी नगरी में बाज देवा री रीत नी है, थु अटे बेईने भावे जतरो धापीने जिमी ले, नी मु नी जिमु, दाना भुढ़ा बोल्या देखो भाई घरे छोरा छोरी वेई लुगाया वेई सो ऐकलो नी जिमतो वेई, अने बाज गाली दो, राजा बाज लेईने घरे आइरा हां, हवली झपट मारी सो बाज तो नीचे पडीगी ने एक दाणो चावल रो राजा री दाड़ी पे रेई गियो ने पुरी बाज धुला भेली वेईगी, राजा राणी दोई मलीयां, राणी ने बोल्या माछलीयां भुंजी काई राणी बोली हा राजा, राणी बोली राजा ने आप जिमिया काई, हा राणी मु जिमी गियो, मनऊ-मन राजा राणी दोई समझी गिया, राजा तो मुली लावे ने राणी लुगाया रा माथा गुथे, राणी बोल्या देखो राजा अबे आंपाने बारा-बारा महिना वेई गिया भटकता ने ।
होली गणगोर तीज-तेवारा रा दन आया दशामाता दियाडाबावसी रा दन आया, राणी मन में विचार करे के बारा-बारा महिना वेई गिया आंपाणी दशा ओती ही दशामाता रे कारण ये दन देखणा पडीया, राणी राजा ने बोली के काले आप दो मुली लावजो ने एक चन्दन री मुली लावजो, मुं दियाडाबावसी दशामाता री वात केऊने पाछी वेल लेऊ ।
दुसरो दिन वियोने राजा मुली लेवा गेया सो एक तो टिडका री एक चन्दन री भारोटी बांधी दिदी, मुली लेईने घरे आया राणी ने क्यो या लो चन्दन री मुली राणी मुली लेईने रसोड़ा में गी, अटिने राजा बाजार मु घी गोल लेईने आया राणी तो लापी-चोका चुरमो वणायो ने दशामाता दियाडाबावसी पुजीया ने एकाशनो करीने पाछी चतमनऊ वात केईने वेल लिदी, आदिक रो समयो वियो ने ओसता तो गी ने दशा आई।
सुबह वियो ने राजा हाथ मुड़ धोवाने जावे, वणी नगरी में एक राजा रे कंवरी मोटी वेईगी सो घर मले तो वर नी मले, नगरी में रेड पडाई के राजा री कन्या रो स्वयवर है, नगरी भेली वेईने हथणी श्रृगारे सो हथणी जना गला में माला पेराई वो ही बाई रा वर वेई, हथणी तो घुमती फरती वणी काट-कबाड़िया रा गला में जाईने वरमाला नाकी दिदी, राजा बोल्या देश सु परदेश आईने वस्यो है, सो मगरे जावे ने मुली लाईने पेट भरे, अना तो लारे मारी कंवरी रो ब्याव किस्तर करु, या हथणी तो भुलीगी।
दुसरो दिन वियो ने वने क्यो के भाई थु देख अणी नगरी में ढबे मती, वो तो प्ररभाते उठो वेईने मुली लेवाने मगरे परो गियो, राजा तो हथणी श्रृंगारी हथणी तो घुमती फरती काट-कबाड़ीया रा गला में जाईने वरमाला नाकी दिदी, राजा बोल्या ओ हों आज ही हथणी तो चुकीगी, मनख बोल्या देखो भाई आपने तो कंवरी अनीस परणावनी पडी नी नी, आज तो दुसरो दिन वियो हे दो दिन ओर बाकी हे, राजा तो काट-कबाड़ीया ने तो छाणा रा पिड़ावरा में चणी दिदो, तीसरा दिन री हथणी श्रृंगारी हथणी तो घुमती फरती छाणा रो पिडावरो ठसोई दिदो ने काट-कबाडीयां ने बाने काडीने वरमाला वना गला में नाकी दिदी, राजा बोल्या ओ हो अबे काई करु हथणी तो रोज रोज चुकी जावे, गांव रा मनख लड़ाई करवा लागा के भाई माने तीन-तीन दन वेई गिया है, भख प्यास स मरता ने थारी कंवरी ने परणावणी वे तो परी पनावो, राजा बोल्या के देखो आज चोथो दिन हे सो, आज चोथा दिन रो चावल भिजोऊ, जो बाई रा किस्मत में लखिया वेई जो वर मली जाई, आज आखिरी दिन है।
काट-कबाड़ीयाने खाडो खोदिने मेईने गाली दिदो उपरे सो मण री हल्ला हरकाई दिदी, राजा बोल्या के अबे मारी छोरी ने किकर पनी, हथणी वरमाला किकर नाकी, हथणी तो पाछी श्रृंगारीने घुमती फरती आई सो-मण री हल्ला ने कोरे हरकाई दिदी ने वरमाला काट-कबाडीया रा गला में नाकी दिदी, राजा बोल्या सब मनख बोल्या देखो बाई रा वर तो ऐईस है, काट-कबाड़ीया ने नवाईन धोवाईन नवा कपडा पेराया ने बाईसा तो काट-कबाड़ीया रा गला में वरमाला पेराई दिदी ने ब्याव कराई दिदो।
ब्याव करीने घरे आया, घरे आईने वंदाईन चुटाईन लिदा दो तीन दिन रिया ने भाई लेवाने आया के मारी बेन ने मेलो, बेन ने लेईने घरे आया, आदिक रो समयो वियो ने बाईसा री आंख्या घणी दुखणी आई, सुबह वियो ने राणी बोली जावो ऐ दासीयां काट-कबाड़ीया रा घरे पुछीने आवो के ओ काट-कबाड़ीया री बहु थारे देवी-देवता रे कांई कलक लागे है सो म्हारा बाईसा री आंख्या घणी दुखीणी आई, दासीयां तो जाईने बोली ओ काट-कबाड़ीया री बहु थारे देवी-देवता रे कांई कलक लागे सो म्हारा बाईसा री आंख्या घणी दुखणी आई है ।
काट-कबाड़ीया री बहु बोली के म्हारा देवी-देवता रे कलक चढ़ावा वाला था कुण हो, गुस्सा में बोली के म्हारा देवी-देवता रे तो कांईस नी लागे, दासीयां ने तो गुस्सो आयो आईने राणी ने केवा लागी के, ओ हो वेतो जोरदार तसकीने बोल्या के म्हारे देवी-देवता कलक रे चढ़ावा वाला था कुण हो, जतरे तो दाना भुढा बोल्या के देखो आपाड़ा बाईसा ने पनाया सो वेई आपाड़ा बाईसा है, वणारो ही आदर भाव करणो, ओछो नी बोलणो, आंपी ओछा बोला तो वणाने गुस्सो आई ।
आप वणियाने काट-कबाड़ीयां री बहु क्यो सो वणाने गुस्सो आयो वेई, आंपी मीठा बोला तो वेई मीठा बोली, राणी बोली देखो वणाने युं किजो बाईसा-ओ-बाईसा आपरा देवी-देवता रे काई ओसाड़ लागे सो म्हारा बाईसा री आंख्या घणी दुखणी आई, दासीयां तो आईने क्यो के बाईसा-ओ-बाईसा आपरा देवी-देवता रे काई ओसाड़ लागे ।
राणी बोली के म्हारा तो देवी-देवता रे सवामण अण-बिन्दिया मोती लागे, खीर खांड़ रा खोपरा लागे, रुल मसरु रा ओसाड़ लागे, ऐ म्हारा देवी-देवता रा ओसाड़ लागे, दासीयां तो दौड़ी दौड़ी गी ने केवा लागी के वणारे तो सवामण अण-बिन्दिया मोती लागे, खीर खांड़ रा खोपरा लागे, रुल मसरु रा ओसाड लागे, राणी बोली यो तो नलराजा दमयन्ती राणी रे लागे, यो आपरे नी लागे, राणी बोली नलराजा दमयन्ती राणी चाले तो कंकु रा पगल्या मंड़े हिके तो सोना री सरीयां खरे, बोले तो सोना रा फेफ खरे, राणी बोली अस्या वेवे तो नल राजा ने दमयन्ती राणी वेवे ।
दासीयां तो दौडी दौडी पाछी राणी रे पास गी ने बोली के ये सब तो नलराजा दमयन्ती राणी रे लागे आपरे नी लागे, राणी बोली नलराजा दमयन्ती राणी केवो तो माहीस हां, ने काट-कबाडीया री बह केवो तो ही माहीस हां, मारी दशा ओती लगी ही सो म्हारी असी हालत वेईगी, पण अबे ओसता तो गी ने दशा आई, दासीयां बोली नलराजा दमयन्ती राणी चाले तो कंकु रा पगल्या मंड़े हिके तो सोनारी सरीयां खरे, बोले तो सोना रा फेफ खरे, दासीयां बोली अस्या वेवे तो नल राजा ने दमयन्ती राणी वेवे, राणी तो चालवा लागी कंकु रा पगल्या मंडवा लागा, हिके तो सोना री सरिसा खरवा लागी, बोले तो सोना रा फेफ पड़वा लागा।
दासीयां तो दौड़ी दौड़ी राज दरबार में आईने केवा लागी के राणीसा राणीसा बाईसा रा किस्मत खली गिया, ओ हो ये तो नलराजा ने दमयन्ती राणी हैं, राजा तो बाईसा ने खुब डायचो दिदो ने रथ श्रृंगारीने राजा ने सीख दिदी, कन्या ने भी सीख दिदी ने डेली पूजीने रवाने विया, घरे आया राणी बोली अबे आपाडी नगरी में परा जावा, राजा बोल्या मारे तो माथे कंलक गणो लागो लगो है सो सब उतारीने जाणो।
होली गणगोर तीज तेवारा रा दन आया, राजा सोनी रो भेख करीने गांव में गिया, लावो ऐ बायां थारो गणो गाठो परो धोईने देऊ, लुगाया बोली कटु लावा गये साल कोई आयो सो सब लेई गियो, ताबा पीतल री गुगरी वे तो ही लावो, लुगाया तो तांबा पीतल री गुगरी लेईने आई, धोई धोवाईने बाजोटियो पे मेली दिदी, ओसता गी ने दशा आई बाजोटियो तो पाछो गेणो गाठो सु भराई गियो ने सब गेणो पाछो उगलवा लागो, सोनी बोल्यो, लो बाई थारो सब गेणो गाठो परो अवेरो लुगायां बोली आप तो भला सो मारो गणो गाठो पाछो आयो, गये साल तो कोई पापी दृष्टी आयो सो सब लेईने परो गियो, सोनी बोल्यो पापी दृष्टी केवो तोई मुहीस हो म्हारी दशा ओती लगी ही, म्हारा माथे कलक आवारो हो सो आई गियो, पाछो कंलक उतारवा ने आयो, वटाऊ राणी वस्ती में गीने लुगाया रा माथा गुथीने आई लुगाया बहुत सारो पईसा सामान दिदो सो लेईने घरे आया ।
राणी बोली अटारो तो भार उतरीयो चालो आपाड़ी नगरी में, आवता आवता गेला में बाज ढली सो सोना रुपा रा ढगला वेईने पड़ीया, राजा बोल्या के देखो राणी आप जाड़ता वेवो के राजा जिमी गिया वेला, पण मु तो जिमियो नी, आ बाज लेईने आईरो सो हवली झापट म्हारी, या बाज धुला भेली वेईगी, सो ये सोना रुपा रा ढगला वेईने पडीया लगा है, राणी तो समुन्दर रा किनारे पाणी पीवा गी तो देखे काई माछलां तो सोना रुपा रा वेईने पडीया लगा हां, वा तो खोलो भरीने लेईने आई, राजा आप जाणीयो वो ला के राणी जिमियां वेवेला पण मुं तो जिमीनी, ऐ देखो राजा माछला तो सोना रुपा रा वेईने पड़ीया है, राजा राणी मनऊ-मन समझीगिया ।
आवता-आवता भाईला भाई रो घर आयो, भाई बोल्या मारो भाई आयो सो रसोई वणावजे भोजाई तो बलती जलती रसोई वणावे, भाई बोल्या देखो पेला मारे विस्तर किदा वटीस पाछा करजो, भोजाई बोली हां पेली मारो हार लेई गिया जडीयु, पण अबे तो मु कमरो साफ सुप बुवारो जुवारो काडीने पछे विस्तर करु, आदिक रो समयो वियो ने ओसता गी ने दशा आई, खुंटी हार ओगाली री ही ने भाई-भोजाई ने बुलाया देखो यो आपरो हार, हार तो मु नी लेगो पण म्हारी दशा ओती लगी ही सो म्हारा माथे चोरी आई, पण अबे ओसता गी ने दशा आई, अणी खुंटी आपरो हार पाछो ओगालीयों सो यो आपरो हार, रेवा दो भाई कटीस नी जावे, परो लेवा ।
आगे आया ने कुम्हार रो घर आयो, कुम्हार भाई मने रात रेवा दे, कुम्हार भाई तो गुस्सा में बोलीयो के नी भाई आगे म्हारे कोई पापी दृष्टी आयो बारा-बारा महीना री रोजी रोटी ही सो परीगी, राजा बोल्या के रात पडीगी ने नानी लोडीमारे साथ है सो आज रो दन रेवा दे. कुम्हार भाई बोल्या के रेवो, कुम्हार तो नेवो खडकीयो ने पकावा लागो, आदिक रो समयो वियो ने ओसता गी ने दशा आई, नेवो तो झगमग-झगमग चमकवा लागो, सोना रुपा रा चरु वेई गिया राणी बोली राजा कुम्हार ने बुलावो ने वने वनो नेवो परो हुपो, राजा बोल्या ऐ कुम्हार भाई थारो नेवो सम्भाल कुम्हार भाई तो नेवो देखीने पग पकडीयां, ओ हो आप कण हो, गये साल तो कोई पापी दष्टी आयो सो म्हारी बारा-बारा महीना री रोजी रोटी ही सो सब फुटी टुटीने ठिकरा वेई गिया, आप तो आया सो सोना रुपा रा वेई गिया, देखो कुम्हार भाई पापी दृष्टी केवो तोई माहींस हां, ने अबे मेहीस हां म्हारी दशा ओती लगी ही सो, अबे ओसता गी ने दशा आई, यो थारो नेवो सम्भाल।
आगे आया ने बगीचो आयो, माली ने बोल्या माली भाई मने रात रेवा दे, माली बोल्या नी नी भाई, आगे ही मारे कोई पापी दष्टी आयो सो, मारो तो बांग सुखीने टिडको वेई गियो है, राजा बोल्या देखो माली भाई रात पड़ीगी ने नानी लोड़ी साथे है सो आज रो दन रेवा दे, माली बोल्या वा भाई रेई जावो, आदिक रो समयो वियो ने ओसता तो गी ने दशा आई, बांग तो हरो भरो वेई गियो, ठन्डी ठन्डी हवा आवा लागी, राणी बोली राजा परा जागो माली ने बुलाईने लावो,वनो बाग परो भलावो, राजा बोल्या माली भाई थारो बांग ने सम्भाल, माली पग पकडीया के आप भला आया म्हारा बांग ने हरो भरो किदो, कोई पापी दृष्टी आयो सो बाग ने सुखाई नाकियों, आप तो आयो सो बांग हरो भरो वेई गियो, राजा बोल्या पापी दृष्टी केवो तोई माहींस हा, पेला आया तो ही मेहीस हां, अबे ही मेहीस हां, मारी दशा ओती लगी ही सो अबे ओसता गी ने दशा आई, सम्भालो आपरा बांग ने।
आगे आया ने एक पीपल रो झाड आयो, राणी बोली आपी अटे रात रेवा, राजा बोल्या हां, आदिक रो समयो वियो ने पीपल तो बड़बड़ फाटवा लागो हांसलो घोडो ने मालागढ छोरी खटाखटा आईने ऊबा रिया, राणी बोली के राजा हांसलो घोडो ने मालागढ छोरी आई गिया, आगे आया ने एक वडलो आयो वडला उपरे एक चरकलो ने चरकली बेठा, चरकली बोली के चका भाई वात घर विती केऊ या पर विती केऊ, घर विती रोज ही करा आज तो पर विती करा, देखो अणी नगरी में एक राजा राज करतो हो वनी दशा ओती सो नगरी छोडनी पड़ी।
देश सु परदेश जाणो पडीयो ने सब वलाई गियो, अबे दशा आई सो सब पाछो वेई गियो ने सब पाछो आई गियो, सायर नीर कंवर अणी बालद में हे सो वे नी आया, जतरे तो राणी री नीद जागीगी, देखो राजा चकवो-चकवी काई वात केईरा, राजा ध्यान दिदो ने सुणवा लागा ने केवा लागा, कंवर तो अणी बालद में है, सुबह वियो ने बालदिया ने बुलायो के बालद भाई थने राजा बुलावे मने राजा काई केवे, ऐ बालद भाई देख के तो म्हारी नगरी थु नुत के मु थारी बालद ने नत, बालदिये कियो के म्हाराऊ तो आपरी नगरी वणे नी आवे, आप बुलावो तो में जिमवाने परा आवा, राजा बोल्या के थारी बालद में रेड़ पडाई दिजे कोई रोटी वणावो मती, राजा रा घरे जिमवाने जाणो है।
राजा तो तेत्तीस तरकारी बत्तीस भोजन वणवाया, ने बालद ने नुती दिदी, राजा तो पुरी बालद ने जिमाई, राणी बोली आपाडा तो कंवर जिमवाने नी आया है, कंवर तो अणीमें नी है, राजा बोल्या आपाड़ा कंवर री काई पहचान, देखो राज-दरबार और वाणियां बामणा री रीत है, हाथ मह धोवे ने खान्दा पे पछेडो या अगोछो जो भी वेवे व बिछाईन पछे बेटे ने जिमे है, राजा बोल्या ऐ बालद भाई थारे ओर कोई रियो काई, हां दो बालक है सो बालद में गिया लगा है सो वणियारे आप बाज गाली दो, राजा बोल्या बाज तो मुंनी गालु वणियाने मोड़ा वेगा ही जिमवाने मेली दिजे, जतरे तो बालक आई गिया, हाथ मुह धोईन खान्दा पे अगोछो हो वो बिछाईने जिमवाने बेठा राणी क्यो के ये कंवर आपाड़ा सायर नीर है।
देखो राज-दरबार री रीत नी जावा दिदी, राणी तो वायराविझडा करे ने कंवर ने जिमावे, जिमावता-जिमावता गणी देर वेईगी, बालदड़ी आईने केवा लागी, चालो नी रे भाई अतरी देर काई लगावो, बालद खोटी वेईरी, जतरे राणी बोली के कंवर तो मारा है, मु नी आवा देऊ, बालदडी बोली के बालद नुतीने कंवर राखे काई, युं करता करता बालदडी ने राणी दोई लड़वा लागी, लडती लडती राज-दरबार में गी।
राज-दरबार बोल्या के यु मती लड़ावो, सुरज भगवान ने अरज करो सुरज भगवान आपरो न्याय करी, राणी रे तो खालडा री कांचली सिलावों ने बालदणी रे रुल मसरु री कांचली सिलावो, दोई हाथ जोडीने अरज करो के जना कंवर वेई जनी मां री कांचली फाटीने थान री हेर मुड़ा में पड़ी जाई, राणी खालडा री कांचली सिलाई, बालदडी रे रुल मसरु री कांचली सिलाई, दोई पेरीने सुरज भगवान ने अरज करे ओ सूरज भगवान शेषकरण रा धणी ये दोई पुत्र मारा वे तो दोई पुत्र रा मुडा में कांचली फाटिने हेर पडी जाजो, राणी री खालडा री कांचली फाटीने दोई कंवरा रा मुडा में हेर पडीगी, राजा बोल्या कंवर तो राणी रा है।
कंवर लेईने राणी आगे आई लाव लश्कर रथ साहिबा परिवार ने लेईने पनघट पे बेठा, बाईसा री दासीया पाणी लेवाने आई, राजा ने देखीने भरीयो नी भरीयो दौडीने घरे गी, बोली बाईसा-ओ-बाईसा आपरा वीर पधारिया, कसी अवाले म्हारा वीर पधारिया, आगला ने कादो पाछला ने कीच रथ सायबा घोडा गाडी लेईने पधारिया, म्हारा वीरासा ने किजो के वटीस रे मु गाजे वाजे ढोल नगाडा लेईने वंदाईने चुटीने लेऊ ।
बहिन भाई ने घरे लेईने आई, वंदाई चुटाईने लीदा, उचली मेडी में डेरा दिदा, तेतीस तरकारी बत्तीस भोजन वणाया ने भाई ने थाल परुसी, साला बन्देई दोई भेला जिमिया, नणंद भोजाई दोई भेली जिमवाने बेठी, भाई तो भोला मन रा जिमी लीदा, भोजाई तो कहाणीयां केवा लागी, "जिमो म्हारा आगला जिमो म्हारा पाछला माने जिमावता तो पेला जिमावता, अबे तो अणी धन ने जिमावे", नणंद बोली ओ भोजाई जिमो नी, कांई कहाणीयां केवो, नी बाईसा कहाणीयां नी केऊ, हांची वात केऊ, करची लावो, करची लाया खाडा मु तो कान्दो ने हान्दो गालीयो, सो सोना रुपा रा ढगला वेईगिया, लो बाईसा यो आपरा भाग रो है, नी भोजाई यो आप रा भाग रो है सो आप लेई जावो, भोजाई बोली म्हारा भाग रो वेतो तो पेला ही वेतो, बाईसा बोल्या आधो आप लेजावो, आधो मने दो।
वटाऊ राजा राणी लाव-लश्कर लेईने निकल्या आपांडे नगरी में रेड पडाई के नगरी रा राजा पाछा आई गिया है सो ढोल नगाडा गाजे वाजे करीने लावो वंदाई चुटाईने लेवो, राजा रे तो राजपाट पाछो सब मली गियो, सब रथ सायबा पाछी वेईगी एक कांगरो खाडो हे वो आज ही खाडो हीस है ।
राजा सबने कियो भाई दशामाता घर री दशा है, में वणारो कोप किदो, मारी बारा महीना दशा ओती गी, ने दशामाता रो कोप कोई करो मती, दशामाता पुजजो ने वेल लिजो घर री दशा बडी है, राजा ने रुठया जस्या कनीस रुठो मती, राजा ने टुट्या जस्या सबने टुटजो ।
अधुरी होय तो पूरी करजो पुरी होय तो मान करजो | कहता सुनता हुकारा भरजो, भुल चुक वे तो माफ करजो ।
“बोलो दशामाता दियाडाबावसी की जय”